Top 10 Moral Stories in Hindi

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Top 10 Moral Stories in Hindi
Top 10 Moral Stories in Hindi

दोस्तों आज हम लाएं है आपके लिए Top 10 Moral Stories in Hindi . वैसे तो हम सब ने बहुत सी कहानियाँ पढ़ी होंगी ,बचपन में दादी से ,दादा से ,नाना से,नानी से और कई अन्य लोगों से और किताबों से, हर कहानी अलग, हर कहानी से एक अलग सीख मिलती है। कहानियां हमारे जीवन में शिक्षा की अहम् भूमिका निभाती है। क्योंकि कहानियों से ही हम सही और गलत का सही निर्णय लेने में सक्षम होते है। अगर हम छोटे बच्चों की बात करे तो उन्हें नैतिक कहानियां सुनना बेहद पसंद होता है। क्या आपने कभी सोचा है ,की बचपन से ही हमें कहानियां क्यों सुनाई जाती है। तो इसका जवाब है ,की कहानी एक ऐसा तरीका जो की बच्चों के जीवन के मार्गदर्शक के लिए बेहद फायदेमंद है। जिससे वह ज़िंदगी में एक अच्छा इंसान बनने की और अग्रसर होते है। Top 10 Moral Stories in Hindi

अगर आप ऐसी ही कहानियां ढूंढ रहे है ,तो आप बिलकुल सही जगह पर है ,आज हमको आपको कुछ ऐसी ही कहानियों के बारे में बताएँगे। तो चलिए पढ़ते है।

Short Moral Stories in Hindi 

हम आपको कुछ ऐसी कहानियों के बारे में बताने जा रहे है  Top 10 Moral Stories in Hindi। जिसमे सीख मिलने के साथ साथ कहानी रोचक और मज़ेदार भी है। कहानी सभी वर्ग के लोगों के लिए है। क्योंकी कहानी बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़ो को भी बहुत कुछ सिखाती है। 

खजाने की खोज की कहानी 

एक बार की बात है, गाँव में धनीराम नाम का एक किसान रहता था, उसके चार बेटे थे। धनीराम अपना घर चलाने के लिए अपने खेत में कृषि कार्य करता था। परन्तु धनीराम के चारों पुत्र बहुत आलसी थे, वे कभी खेत में काम करने नहीं जाते थे। वह सारा दिन गांव में इधर-उधर बैठकर गुजारा करता था।

एक दिन धनीराम ने अपनी पत्नी से कहा कि आज मैं जीवित हूं तो सब ठीक चल रहा है, मेरे बाद कौन खेती करेगा। हमारे बच्चों ने तो आज तक खेतों में पैर भी नहीं रखा। इस पर धनीराम की पत्नी ने कहा कि कोई बात नहीं, वह धीरे-धीरे यह काम करना शुरू कर देंगे। इस तरह समय धीरे-धीरे बीत रहा था। एक दिन धनीराम की तबीयत अचानक बिगड़ जाती है और वह बहुत बीमार पड़ जाता है।

इस दौरान धनीराम अपनी पत्नी से कहता है कि चारों लड़कों को मेरे पास बुला लो, मेरे पास समय बहुत कम है। यह सुनकर धनीराम की पत्नी अपनी चार लाठियां उसके पिता के पास ले आती है। धनीराम इस बात को लेकर बहुत चिंतित था कि उसके बाद उसके लड़कों का क्या होगा। फिर उसने अपनी चारों लकड़ियों को अपने पास बैठा लिया और कहा कि मैंने जो भी धन कमाया है, उसे अपने खेतों के नीचे गाड़ दिया है।

जब मैं इस संसार में न रहूँगा, तब मेरे बाद तुम्हें खेतों में गड़ा हुआ सारा धन निकालकर तुम में बाँटना होगा। यह सुनकर धनीराम के चारों पुत्र बहुत प्रसन्न हुए। कुछ देर बाद तबीयत बिगड़ने से धनीराम की मौत हो गई। धनीराम की मृत्यु के कुछ दिन बाद उसके चारों बेटे खेत में दबे खजाने की खुदाई के लिए निकल पड़े।

खेत में पहुंचकर चारों पुत्रों ने पूरा खेत खोद डाला लेकिन उनमें से किसी को भी खजाने जैसा कुछ नहीं मिला। वे चारों बहुत निराश हुए और घर आकर अपनी माँ को बताया कि उनके पिता ने उन्हें खेत खोजने के बारे में जो बताया था वह झूठ था। हम चारों ने पूरा खेत खोद डाला पर हमें खेत में कोई खजाना नहीं मिला। यह सुनकर उसकी माता ने कहा कि तेरे पिता ने जीवन भर केवल यही घर और खेत कमाया है, अब तूने इतनी मेहनत करके पूरा खेत खोदा है, अब इसमें भी बीज डाल दे।

इसके बाद चारों पुत्रों ने खेत में बीज दिया और मां के निर्देशानुसार समय पर खेत में पानी और खाद डालने लगे। समय बीतता गया और कुछ समय बाद खेत में फसल तैयार हो गई। फसल कटने के बाद चारों बेटों ने फसल को बाजार में बेच दिया और उससे जो भी पैसा मिला उसी में बहुत खुश थे। इसके बाद जब चारों बेटे घर चले गए तो मां ने कहा कि बेटा तुम्हारे पापा तुम्हें समझाना चाहते हैं कि हम जो मेहनत करते हैं उसके बदले में हमें पैसे मिलते हैं।

कहानी की शिक्षा – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है। अगर हम अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति बहुत आलसी है तो वह अपने जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद कर रहा है। आपको अपने जीवन में हमेशा सही दिशा में मेहनत करनी चाहिए।

साधु की झोपड़ी 

एक गाँव में दो साधु रहते थे। वह दिन भर भीख मांगकर मंदिर में पूजा करता था। एक दिन गांव में तूफान आया और तेज बारिश होने लगी। दोनों गांव की सीमा से सटी झोपड़ी में रहते थे। शाम को जब दोनों लौटे तो देखा कि उनकी झोपड़ी आंधी से उजड़ गई है।

यह देखकर साधु पहले तो क्रोधित हो जाता है और बड़बड़ाने लगता है – भगवान आप हमेशा मेरे साथ गलत करते हैं। मैं दिन भर तेरा नाम जपता हूँ। मन्दिर में तेरी पूजा करते हैं

फिर भी तुमने मेरी कुटिया तोड़ी। गांव में चोरों, लुटेरों और झूठों के घरों को कुछ नहीं हुआ। तुमने तोड़ी हम गरीब साधुओं की झोपड़ी। यह तुम्हारा काम है। हम आपका नाम जपते ही रहते है। परन्तु आप लोगों से तनिक भी  प्रेम नहीं करते। 

तभी एक और साधु आता है और झोपड़ी देखकर खुश होता है। नाचना शुरू कर देता है और कहता है कि भगवान आज मुझे विश्वास है कि आप हमसे कितना प्यार करते हैं

तुम हमारी इस आधी झोपड़ी को बचा लेते। नहीं तो इतने तेज तूफान में हमारी झोपड़ी कैसे बचेगी। आपकी कृपा से आज भी हमारे पास सिर ढकने की जगह है। निश्चय ही यह मेरी उपासना का फल है। कल से मैं तुम्हारी और पूजा करूंगा। मैं आप पर अधिक से अधिक भरोसा करता हूं

कहानी की शिक्षा  परिस्थिति चाहे कितनी भी गंभीर क्यों न हो हमें अपनी सोच नकारात्मक नहीं रखनी चाहिए 

हमें परमात्मा पर भरोसा रखना चाहिए। 

सोने का अंडा 

रामपुर गांव में एक गरीब किसान रहता था। वह रोजाना की तरह अपने खेतों से काम कर घर वापस आ रहा था। उसे रास्ते में एक घायल मुर्गी दिखाई देती है जिसका काफी खून बह रहा था। गरीब किसान ने उसे देखते ही उठा लिया और घर ले जाकर उसकी पट्टी कर दी। कुछ ही दिनों में मुर्गी पूरी तरह स्वस्थ हो गई।

मुर्गी ने गरीब किसान से कहा कि तुमने मेरी इतनी सेवा की है, बदले में मैं तुम्हें प्रतिदिन एक सोने का अंडा दूंगी। मुर्गी रोज सुबह अपनी इच्छानुसार सोने का एक अंडा देती है, जिसे गरीब किसान बाजार ले जाकर अच्छे दामों पर बेच देता था।गरीब किसान के पास बहुत कम समय में बहुत पैसा हो गया था, अब वह बहुत अमीर हो गया था। एक दिन उसने सोचा कि अगर मुझे मुर्गी को रोज खिलाना और परोसना है तो मुझे एक ही अंडा मिल सकता है, क्यों न इसके पेट से सारे अंडे निकाल कर बेच दूं।

ऐसा विचार कर उसने चाकू से मुर्गी का पेट काट डाला, पर उसे एक भी अंडा नहीं मिला और जो एक अंडा उसे रोज मिलता था, उसके हाथ छूट गए।

कहानी की शिक्षाहमें ज़्यादा लालच नहीं करना चाहिए 

असली माँ 

एक बार की बात है ,दो स्त्रियाँ एक बच्चे के लिए बहुत दे से झगड़ रही थी। दोनों का यही कहना था ,की वही बच्चे की असली माँ है। जब उनका झगड़ा सुलझा नहीं तो ,उन्हें न्यायधीश के सामने पेश किया गया। 

न्यायधीश ने दोनों स्त्रियों की बातें सुनी। न्यायधीश के लिए यह फैंसला करना मुश्किल हो गया की बच्चे की असली माँ कौन है। 

आखिर में न्यायधीश को एक तरीका सुझा यह समस्या सुलझाने का ,उन्होंने अपने कर्मचारी को आदेश दिया की बच्चे के 2 टुकड़े कर दे और एक-एक दोनों स्त्रियों को दे दे। 

न्यायधीश का यह आदेश सुनकर एक स्त्री ने धड़ मारते हुए कहा। की “नहीं ऐसा ज़ुल्म मत कीजिये सरकार ,दया करो “ भले ही यह बच्चा इस स्त्री को दे दो। परन्तु मेरे बच्चे को जीवित रहने दो। मै अपने लाल पर अपना दावा छोड़ती हूँ। 

दूसरी स्त्री कुछ भी नहीं बोली और चुपचाप यह सब सुनती रही। अब चतुर न्यायधीश को यह पता चल गया की बच्चे की असली माँ कौन है। उन्होंने बच्चा उस स्त्री को दे दिया जो अपना दवा छोड़ने के लिए तैयार थी। और दूसरी स्त्री को जेल भेज दिया। 

कहानी से शिक्षा – सच्चाई की हमेश जीत होती है। 

अंगूर खट्टे है 

एक भूखी लोमड़ी जंगल से गुजर रही थी। रास्ते में अंगूर के गुच्छे लटके देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। उसने कहा, “ये अंगूर मीठे और रसीले होने चाहिए।”

लोमड़ी ने अंगूर लेने के लिए कई बार ऊँची छलांग लगाई, लेकिन अंगूर उसके पास नहीं पहुँचे। वह सोच रही थी कि काश! यदि बेल थोड़ी नीची होती तो वह आसानी से अंगूर तोड़ लेती या कोई मित्र मिल जाता तो उसकी सहायता से अंगूर तोड़ लेती।

उसने दूर-दूर तक देखा, लेकिन कहीं कोई नजर नहीं आया। हमेशा पेड़ों पर कूदने वाला बंदर कहीं नजर नहीं आता था। लोमड़ी ने कुछ देर आराम किया और फिर से कूद पड़ी।

इस बार वह पहले से ज्यादा ऊंची कूदी लेकिन फिर भी उसने अंगूरों को हाथ नहीं लगाया। वह बहुत थकी हुई थी। हार कर उसने अंगूर तोड़ने का विचार यह कहा की अंगूर काफी “अंगूर खट्टे हैं। और मुझे खट्टे अंगूर पसंद नहीं और न ही मैं खता हूँ। 

कहानी से शिक्षा – लभ्य वस्तुंओं का ही लालच करना ठीक है। 

लालची चरवाहा 

एक दिन एक चरवाहा अपनी बकरियों को चराने के लिए पास के जंगल में ले गया। अचानक तेज बारिश होने लगी और वह अपनी बकरियों को पास की एक गुफा में ले गया। जब चरवाहे ने देखा कि कुछ जंगली बकरियों ने पहले से ही वहाँ शरण ले रखी है, तो वह बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, ‘मैं इन बकरियों को अपने झुंड में शामिल कर लूँगा।’

यह सोचकर चरवाहा जंगली बकरियों की खूब देखभाल करता था। वह उन्हें हरी पत्तियाँ और घास खिलाता था और अपनी बकरियों की ओर कोई ध्यान नहीं देता था।

इसलिए वह दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही थी। कई दिनों के बाद बारिश बंद हो गई और जैसे ही बारिश बंद हुई, जंगली बकरियां जंगल में भाग गईं।

चरवाहे ने सोचा, ‘चलो, कोई बात नहीं। हमारे पास वैसे भी बकरियां हैं। लेकिन उस समय उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने देखा कि सभी बकरियां भूख से मर चुकी हैं। चरवाहा बोला

मेरे समान मूर्ख और कोई नहीं होगा, जिसने जंगली बकरों के लालच में अपनी ही बकरियों को खो दिया हो। फिर पछतावे से हाथ मिलाते हुए अपने घर लौट आया।

कहानी से शिक्षा – हमें संतोषी प्रवत्ति अपनानी चाहिए। 

कबूतर और शिकारी 

एक बार एक शिकारी शिकार करने गया। शिकारी के लिए सुबह से शाम हो गई लेकिन उसे कुछ भी महसूस नहीं हुआ। अचानक एक कबूतर शिकारी के जाल में फंस गया। उस कबूतर को देखकर शिकारी बहुत खुश हुआ और शिकारी कबूतर को अपने साथ ले जाने लगा।

पथ में कबूतर ने उस शिकारी से यह पूछना ज़रूरी समझा  – ‘की मुझे तुम कहा और किसलिए ले जा रहे हो ?’ तब शिकारी ने कहा – ‘मैं तुम्हें अपने घर ले जाऊंगा, मैं तुम्हें पकाकर खाऊंगा, बड़ा मजा आएगा’

शिकारी की बात सुनकर कबूतर कुछ देर चुप रहा और कुछ देर बाद उससे बोला- ‘मेरा जीवन अब समाप्त होने वाला है, लेकिन उससे पहले मेरी एक आखिरी इच्छा है। शिकारी ने कबूतर से कहा, अपनी अंतिम इच्छा बताओ, मैं पूरी करूंगा। कबूतर ने कहा कि मेरी मां ने मरने से पहले मुझे दो काम की बातें बताई थीं। मैं मरने से पहले आपको वो बातें बताना चाहता हूं। शायद तुम कुछ कर सको

पहली बात- बिना सोचे समझे किसी की बात पर विश्वास न करें

दूसरी बात – जब कुछ बुरा हो जाए या कुछ छूट जाए तो इसका पछतावा नहीं करना चाहिए।===

कबूतर की बात सुनकर शिकारी आगे बढ़ने लगा। शिकारी अभी कुछ दूर ही गया था कि कबूतर ने उससे कहा- ‘मेरे पास एक हीरे की अंगूठी है, अगर मैं वह अंगूठी तुम्हें दे दूं, तो क्या तुम मुझे मुक्त कर दोगे?’

हीरे का नाम सुनते ही शिकारी के मन में लालच आ गया और उसने कहा, मैं तुम्हें आजाद कर रहा हूं। तुम जल्दी से वह हीरा लाकर मुझे दे दो। कबूतर आजाद होते ही दूर एक बड़े पेड़ पर बैठ गया और शिकारी से बोला- ‘मेरे पास कोई हीरा नहीं है।’

मैंने अभी तुमसे कहा था कि बिना सोचे समझे किसी की बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए। कबूतर की बात सुनकर शिकारी बहुत दुखी हुआ। उसे उदास देख कबूतर ने कहा, मैंने भी तुमसे कहा था कि जब कुछ बुरा हो जाए या तुम छूट जाओ तो तुम्हें उदास नहीं होना चाहिए।

कहानी से शिक्षा – परेशानी के वक़्त हमें ठन्डे दिमाग से काम लेना चाहिए जैसे ,कबूतर ने लिया। 

                         कुछ बुरा होने या कुछ छूट जाने पर हमें कभी दुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें उस गलती से सीख लेनी चाहिए ताकि भविष्य में हम ऐसी गलती दोबारा न करें।

चिड़िया की कहानी 

सुंदरबन के जंगलों में सभी जानवर एक साथ खुशी से रहते थे। रानी चिड़िया भी उस वन में एक वृक्ष पर रहती थी।एक बार जंगल में भीषण आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि जंगल का राजा मंगलू शेर वहां से भागने की योजना बनाने लगा और सभी को जंगल छोड़कर भाग जाने की सलाह देता है।

यह सुनकर सभी जानवर पास के जंगलों की ओर भागने लगते हैं। एक चील उड़ रही थी और उसने देखा कि रानी चिड़िया अपनी चोंच से पास के तालाब से पानी ला रही है और उसे बुझाने के लिए आग पर डाल रही है।

यह देखकर चील ने रानी चिड़िया से कहा, “हे रानी बहन! तेरी इस चोंच में कितना पानी आएगा। इससे जंगल की आग नहीं बुझेगी।”

इस पर रानी चिड़िया ने सरलता से उत्तर दिया, “मुझे नहीं पता कि मेरी एक चोंच पानी से इस आग को बुझा पाएगी या नहीं, लेकिन जब भी इस आग की बात आएगी, तो मेरी गिनती आग बुझाने वालों में होगी।” और तुम भगोड़ों में से हो जाओगे।

कहानी से शिक्षा – इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने बड़े या छोटे हैं, मायने यह रखता है कि आपने क्या किया, कब किया, कैसे किया। यह आपकी दृढ़ता, साहस और जुनून को दर्शाता है

शेर और चूहा 

हम सभी जानते हैं कि शेर जंगल का राजा होता है। एक बार एक शेर गहरी नींद में सो रहा था जब एक छोटा सा चूहा उसके ऊपर दौड़ा। इससे शेर जाग गया। वह गुस्से में था और उसने अपने विशाल पंजे से चूहे को पकड़ लिया। फिर उसने उसे निगलने के लिए अपना बड़ा मुँह खोला।

“कृपा करके मुझे बक्श दे, हे इस जंगल के राजा”, छोटा चूहा रोने लगा अपनी जान बचने के लिए। “मैं आपका यह अहसान कभी नहीं भूलूंगा। मैं छोटा भले ही हूँ लेकिन हो सकता है मैं आपके किसी दिन किसी तरह से काम आ सकूं।”

शेर हँसा और दया से चूहे को आज़ाद कर दिया। कुछ दिनों बाद शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया। वह दहाड़ा लेकिन व्यर्थ। यह सुनकर छोटा चूहा शेर की ओर दौड़ा। तुरंत ही चूहा अपने छोटे-छोटे दांतों से जाल को काटने लगा। जल्द ही शेर आज़ाद हो गया और उसने छोटे चूहे को धन्यवाद दिया। इसके बाद, वे दोस्त बन गए।

कहानी से शिक्षा – मित्र वही जो मुसीबत में काम आये। 

भेड़ के वेश में भेड़िया 

एक दिन एक भेड़िया जंगल से गुज़र रहा था। और अचानक से भेड़िये को कही से भेड़ की खाल मिल गयी। और भेड़िया खाल को पहनकर मैदान में चारा चर रही भेड़ों में जाकर शामिल हो गया। भेड़िये ने सोचा सूर्य अस्त होने के बाद गड़रिया भेड़ों को बाड़े में बंद कर देगा। भेड़ों के साथ में भी बाड़े में घुस जाऊँगा। रात को किसी मोटी और तगड़ी भेड़ को उठाकर भाग जाऊंगा और आराम से मज़े से उसको खाऊंगा। 

जैसे ही शाम हुई तो गड़रिया भेड़ो को बाड़े में बंद करके अपने घर चला गया। भेड़िया चुप चाप से अँधेरा होने का इंतज़ार करने लगा। धीरे धीरे घना अँधेरा होने लगा। यहाँ तक तो जैसा भेड़िये ने सोचा वैसे ही हुआ परन्तु उसके बाद एक अनहोनी घटना घट गयी। 

एकाएक गड़रिये का नौकर बाड़े में आया। गड़रिये ने उसे रात के खाने के लिए एक अच्छी खासी भेड़ लाने को कहा था। सयोंग से भेड़ की खाल ओढ़े भेड़िये को ही ले गया। और उसे हलाल कर दिया। 

कहानी से शिक्षा – बुरा सोचने वाले का अंत ही बुरा होता है। 

निष्कर्ष 

यह लेख Top 10 Moral Stories in Hindi पर आधारित था। जिसमे हिंदी में नैतिक कहानियों के बारे में बताया है। और कहानी से क्या सीख मिलती है। आशा करता हूँ की आपको यह पोस्ट Top 10 Moral Stories in Hindi ज़रूर पसंद आया होगा। और आपको बहुत कुछ सीखने को भी मिला होगा। 

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